हम सब ने अपनी ज़िन्दगी में कम से म एक बार IVF शब्द का उपयोग ज़रूर सुना है| परन्तु अधिकतर लोग इसके अर्थ से वंचित है| आज हम जानेंगे की किस प्रकार एक IVF Centre in Punjab दम्पत्तियों की संतान प्राप्ति में मदद करता है| कुछ लोग ये भी जानना चाहते है की वो किस प्रकर से यह निश्चित करें की उन्हें एक Test Tube Baby centre in Punjab के डॉक्टरो की सहायता की आवश्यकता है|
IVF क्या है?
IVF का अर्थ है प्रजनन उपचार जिसे हम अंग्रेजी भाषा में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट भी कहते है| ये उपचार उन दम्पत्तियों के लिए होता है जो असुरक्षित यौन क्रिया के बावजूद भी बच्चा करने में असमर्थ है|
इस प्रक्रिया का उपयोग कब किया जाता है?
IVF प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब या तो केवल स्त्री के अंडे में और या पुरुष के शुक्राणु में दिक्कत पाई जाती है| जब कभी दोनों पुरुष और स्त्री में प्रजनन अक्षमता पाई जाती है, तो उसे हम Couple Infertility कहते है|
गर्भधारण प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
गर्भधारण प्रक्रिया हम उसे कहते है जब स्त्री के अंडे और पुरुष के शुक्राणु आपस में मिलकर शिशु उत्पादन प्रक्रिया में सहभागी होते है| परन्तु जब कभी किसी कारण के तहत शिशु उत्पादन की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, यो उसे हम बांझपन की समस्या कहते है|
आपको कब एक IVF Centre में जाना चाहिए?
यदि एक जोड़ा पिछले ६ महीने से असुरक्षित यौन क्रिया (Unprotected Sex) की सहायता से बच्चा करने की कोशिश कर रहा है| परन्तु नहीं हो पा रहा| तो उस स्तिथि में उस जोड़े को एक IVF Centre में जाना चाहिए| यदि महिला की उम्र २७ साल से कम है और पुरुष की ३० से कम है, तो उन्हें एक IVF treatment लेने से पहले १ साल का इंतज़ार क्र लेना
IVF में क्या होता है?
IVF प्रक्रिया में स्त्री के अंडे और पुरुष के शुक्राणुओं को शरीर के बाहर मिलाया जाता है | इस प्रक्रिया को Stages में बांटा गया है| Fertili sed हुए अंडे को भ्रूण कहा जाता है जिसे हम अंग्रेजी में Embryo कहते है| जब डॉक्टर भ्रूण को ५ दिन निगरानी में रखकर संतुष्टिपूर्ण परिणाम पाते है, तो भ्रूण को गर्भ में प्रतिरोपण करने की प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है|
किस तरह से IVF प्रक्रिया पूर्ण की जाती है?
- सबसे पहले तो पुरुष को अपने वीर्य का Sample देना होता है| उस Sample में से मरे हुए शुक्राणुओं को अलग कर दिया जाता है और अच्छे गुण वाले शुक्राओं को चैक किया जाता है|
- इंजेक्शन की सहायता से स्त्री के शरीर से अण्डों को बाहर निकाला जाता है |
- अंडे और शुक्राणुओं को आपस में मिला कर Fertilise होने के लिए छोड़ दिया जाता है|
- तैयार हुए भ्रूण को ३ से ५ दिनों के लिए कड़ी निगरानी में रखा जाता है| ये देखा जाता है की क्या भ्रूण गर्भ में गर्भावस्था के अंत तक टिक पायेगा या नहीं| यदि नहीं तो उसे स्त्री के गर्भ में प्रत्यारोपण करने के बारे में सोचा भी नहीं जाता|
- परन्तु अगर भ्रूण में अच्छे गुण है और वो गर्भ में प्राकृतिक तौर से शिशु बनने में समर्थता दिखता है तो उसे स्त्री के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है|
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